मेरी जीभ ने उसके दूसरे स्तन के निप्पल का स्पर्श किया ही था, जब उसकी तेज़ चलती सांसों से ऐसा महसूस हुआ कि वो चरम सुख तक बस पहुंचने ही वाली है। 'वो पत्थर कितना बड़ा है?' मैंने पूछा। वह हांफते हुए बोली: 'ज़्यादा बड़ा नहीं...' मैंने फिर से उसकी चूचियों को अपने मुंह में ले लिया। अब वो एक पत्ते की तरह कांप रही थी और मैं बड़ी आसानी से उसकी चोली खोल रहा था। तीखे और सख्त निप्पलों वाले उसके खूबसूरत जवान स्तन बड़े गुस्ताख थे। मैं कूदकर उसके बगल में पहुंचा, उस पर झुका और फिर से अपना सवाल दोहराया: 'वो पत्थर कितना बड़ा है?' जब अपना करियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे एक प्राइवेट जासूस को एक नई जवान महिला क्लाइंट से एक घटिया से बार में मिलने को कहा जाता है तो वह तैयार हो जाता है। उसे एक क्षण के लिए भी उस औरत की दुखद कहानी पर यकीन नहीं होता, लेकिन वो इतनी कामुक है कि वो उसके झूठ को स्वीकार कर लेता है। क्या पता उस सेक्सी कामुक क्लाइंट के इरादे कुछ और हों...यह लघु कथा स्वीडन की फ़िल्म निर्माता एरिका लस्ट के सहयोग में प्रकाशित की गई है। उनकी मंशा जानदार कहानियों और कामुक साहित्य की चाशनी में जोश, अंतरंगता, वासना और प्यार में रची-बसी दास्तानों के ज़रिए इंसानी फ़ितरत और उसकी विविधता को दिखाने की है।