'क्या तुम तैयार हो?' तुम बहुत धीमी मुलायम आवाज़ में मुस्कुराती हुई मुझसे पूछती हो। मैं तुम्हें पहचान लेता हूं। तुम्हीं हो, माय गर्ल। चारों ओर घूमते हुए तुम अपनी हथेलियों को अपने नितंबों पर फिसलने देती हो। मैं अपने आपको छूने से खुद को रोक नहीं पाता। तुम फिर से मुड़ती हो, अपनी देह के निचले हिस्से को थोड़ा झुकाती हो और अपने शरीर से पूरी तरह चिपके उस कपड़े को कुछ इस अंदाज़ में खोलती हो कि मैं उसे देख सकूं। तुम उसे हल्के से ऊपर उठाती हो ताकि मैं तुम्हारी करीने से बालों को साफ की हुई छोटी सी योनि की एक झलक पा सकूं। मैं उसकी तरफ हाथ बढ़ाता हूं लेकिन तुम मेरी हथेली पर एक चपत लगा देती हो। तुम मेरे दोनों ओर अपने पैर चौड़े करके खड़ी हो जाती हो। फिर अपनी तर्जनी, अनामिका और बीच वाली उंगली को अपने मुंह में डालकर चूसती हो, फिर वो उंगलियां धीरे से तुम्हारे पैरों के बीच खिसकती हैं। वहां, जहां अब तुम और मैं दोनों हैं। फिर तुम बैठ जाती हो।' यह लघु कथा स्वीडन की फ़िल्म निर्माता एरिका लस्ट के सहयोग में प्रकाशित की गई है। उनकी मंशा जानदार कहानियों और कामुक साहित्य की चाशनी में जोश, अंतरंगता, वासना और प्यार में रची-बसी दास्तानों के ज़रिए इंसानी फ़ितरत और उसकी विविधता को दिखाने की है।